- डीएवाई-एनआरएलएम ने 10.04 करोड़ से अधिक महिलाओं को 90.76 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में शामिल किया है: श्री चरणजीत सिंह
- श्री सिंह ने निर्धनता समाप्त करने के लिए देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचने के लिए बहु-हितधारक सहयोग की आवश्यकता और महत्व पर जोर दिया
ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक समावेशी आजीविका प्रदान करके जलवायु परिवर्तन और निर्धनता की दोहरी चुनौतियों से लड़ने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। श्री चरणजीत सिंह ने ये टिप्पणियां कल नई दिल्ली में अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पीएएल) दक्षिण एशिया द्वारा आयोजित भारत में गरीबी उन्मूलन की विशिष्ट पुनर्कल्पनाशील गोलमेज सम्मेलन में कीं।
श्री चरणजीत सिंह ने कहा, “कोई भी वंचित नहीं रहना चाहिए” क्योंकि सरकार 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न को साकार करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि निर्धन महिलाओं के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करने की तत्काल आवश्यकता है, जो अक्सर अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकती हैं। ऐसी चुनौतियों की पहचान करने और उन्हें समाधान करने के लिए स्थानीय समुदाय का ज्ञान महत्वपूर्ण है। डीएवाई-एनआरएलएम के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय की नवोन्मेषी साझेदारियों की चर्चा करते हुए, श्री सिंह ने गरीबी समाप्त करने के लिए समाज के अंतिम छोर तक लोगों तक पहुंचने के लिए बहु-हितधारक सहयोग की आवश्यकता और महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अगर हम एक साथ मिलकर काम करते हैं तो बहुत अधिक बदलाव ला सकते हैं।
श्री सिंह ने बताया कि डीएवाई-एनआरएलएम ने 10.04 करोड़ से अधिक महिलाओं को 90.76 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में शामिल किया है। यह वित्तीय समावेशन, डिजिटल साक्षरता, सतत आजीविका और सामाजिक विकास क्तियों को बढ़ावा देता है। महिलाओं के आजीविका विकास के लिए एक समग्र और समावेशी दृष्टिकोण डीएवाई-एनआरएलएम की एक प्रमुख विशेषता रही है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय में ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि मंत्रालय इस क्षेत्र में नवोन्मेषी परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ घनिष्ठ सहयोग से काम कर रहा है, जो ग्रेजुएशन अप्रोच का रूपान्तरण है। इन्हें ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर लाने के लिए तैयार किया गया है। राज्य अपने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के आधार पर कार्यक्रम को अपना रहे हैं। वे यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं कि निर्धन परिवारों को अन्य सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के तहत लाया जाए। सुश्री स्मृति शरण ने निर्धनता की बहुआयामी प्रकृति से निपटने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य और आंकड़ों के साथ-साथ प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमें मौद्रिक निर्धनता की परिभाषा से आगे बढ़ना होगा।
जे-पाल के सह-संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता श्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि ग्रेजुएशन अप्रोच मॉडल गरीबों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इन लोगों को बाहर रखा जाता है लेकिन जैसे ही उन्हें अवसर प्राप्त होता है, वे अपने जीवन की कमान संभालने लगते हैं।
ग्रेजुएशन अप्रोच गैर सरकारी संगठन बीआरएसी द्वारा विकसित एक समग्र आजीविका कार्यक्रम है। यह आज विश्व में सबसे कठोरता से परीक्षण किए गए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में से एक है। जे-पाल और इनोवेशन्स फॉर पॉवर्टी एक्शन से संबद्ध शोधकर्ताओं द्वारा औचक रूप से किए गए सात मूल्यांकनों में पाया गया है कि ग्रेजुएशन अप्रोच निर्धन परिवारों को निर्धनता से बाहर निकालने में प्रभावी है। यह 15 देशों में 30 लाख से अधिक घरों तक पहुंच चुका है।
गोलमेज सम्मेलन में ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), जीविका, बीआरएसी, बीएमजीएफ, विश्व बैंक और द/नज इंस्टीट्यूट आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जे-पाल के सह-संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने भी लगभग दो दशकों तक ग्रेजुएशन अप्रोच के प्रभावों का अध्ययन करने से प्राप्त अपनी अंतर्दृष्टि और सबक साझा किए।